भारत के प्रथम नागरिक राष्टपति द्रोपति मुर्मू जी को श्री राम मंदिर उदघाटन का नहीं दिया गया निमंत्रण,

भारत मैं जाति बाद का भूत इस कदर सवार हैं। की जो पद भारतीय संविधान के अनुसार राष्टपति पद एक सर्वो परी पद का दर्जा दिया गया है।


जो नेता अपने आप को OBC वर्ग का मनते हैं ।आज उन्ही के शासन काल मैं जिसे भारत के प्रथम नागरिक का दर्जा दिया जाता हैं।उसे ही राम मंदिर उदघाटन का नहीं दिया गया निमंत्रण। अगर सनातन धर्म के अनुसार पहला निमंत्रण किसे दिया जाता हैं। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।

भारतीय शासन  काल को देखा जाए तो 700 एडी से मानते हैं. 1200 साल की गुलामी मुसलमानों की हुई और फिर 
भारत 1757 से लेकर 1947 तक अंग्रेजों का गुलाम रहा फिर भी भारत में गुलामी याद नहीं आती जातिवाद याद आता है।

19वीं शताब्दी में अंग्रेजों द्वारा खूब प्रताड़ित किया गया पंडित ब्राह्मण ठाकुर भूमिहारों को मुसलमान को पटक पटक कर मारा ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा। ईस्ट इंडिया कंपनी ने जातिवाद के आधार पर नहीं मारा अज्ञानता के कारण मारा वो जानते थे। कि ये लोग अपने ही लोगो के साथ भेद भाव करते है।
आज भी लोग सुधरने के लिए तैयार नहीं है।

भारत की 85 पर्सेंट आबादी एससी एसटी ओबीसी की ही बनती है। जिनकी वोट से यह  ।नेता विधायक मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री बनते हैं ।उन्हें के लिए आज मंदिर में जाने के लिए रोका जाता है। धन्य है यह भारत देश।

भारत देश आजाद 1947 में हुआ लेकिन आज भी देश की एससी एसटी ओबीसी को तो आज भी प्रताड़ित किया जाता है। आज भी उन्हें नीचे दिखाया जाता है उनके साथ भेदभाव की भावना देखी जाती है।

 आज सनातन धर्म अलग-अलग जातो में बिखरता जा रहा है। ऊंची और नीची जाति का गंदा खेल बिखरता जा रहा है कुछ धर्म के ठेकेदार कुछ राजनीतिक संगठन से जुड़े नेता जातिवाद राजनीति के चक्कर में हिंदुओं को बांटने का काम कर रहे हैं।

अगर प्राचीन काल के इतिहास में देखा जाए तो शेड्यूल कास्ट का वर्णन नहीं मिलता
 शब्द का प्रयोग 16वीं सादी  में सिकंदर लोदी द्वारा किया गया था जिस समय तुर्की और अफगान आक्रमणकारियों ने भारत पर आक्रमण भारत में प्रवेश किया था।


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