मध्य प्रदेश के मुखिया डॉक्टर मोहन यादव का सागर हुआ आगमन महान शिक्षाविद् डा. हरिसिंह गौर को भारत रत्न दिलाने के होंगे प्रयास,रानी अवंती बाई लोधी विश्वविद्यालय का शुभारंभ किया,तथा कहा कि यह विश्वविद्यालय इसी सत्र से शुरू होगा?
। मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव Sagar, दरअसल यह खबर मध्य प्रदेश के सागर जिले से जुड़ी है। जहां पर मुख्यमंत्री डाक्टर ,मोहन यादव ने आज सागर में वीरांगाना रानी अवंती बाई लोधी विश्वविद्यालय के डिजिटल लांच के लिए आयोजित कार्यक्रम के भव्य समारोह में कहा कि डा. हरिसिंह गौर की नगरी सागर ने शिक्षा के क्षेत्र में देश का नेतृत्व किया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज सागर के पीटीसी ग्राउंड में विश्वविद्यालय के डिजिटल लांच के लिए आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने रिमोट का बटन दबाकर रानी अवंती बाई लोधी विश्वविद्यालय का शुभारंभ किया तथा कहा कि यह विश्वविद्यालय इसी सत्र से शुरू होगा। विश्वविद्यालय के लिए भवन भी बनाया जाएगा। समारोह में मुख्यमंत्री ने सागर जिले के लिए अनेक घोषणाएं कर सौगातें भी दी। कार्यक्रम में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत, पूर्व मंत्री एवं विधायक श्री गोपाल भार्गव, सांसद श्री राजबहादुर सिंह, विधायकगण श्री शैलेन्द्र जैन, प्रदीप लारिया, वीरेन्द्र सिंह लोधी, महापौर श्रीमती संगीता तिवारी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री हीरासिंह राजपूत, नगर निगम अध्यक्ष श्री वृदावन अहिरवार, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री देवेन्द्र सिंह ठाकुर, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती लता वानखेडे़ सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं कर्मचारी अधिकारी रहे मौजूद।
डॉक्टर मोहन यादव ने कहा कि डॉक्टर हरि सिंह गौर को भारत रत्न मिलना चाहिए मेरा मत है।
डॉक्टर, मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश की धरती शिक्षा को लेकर पूरे देश का मुख्य केन्द्र है। भगवान श्री कृष्ण ने जहां संदीपनी आश्रम उज्जैन में शिक्षा ली थी, वहीं शिक्षाविद् डा. हरिसिंह गौर ने बुंदेलखंड की धरा पर शिक्षा की मशाल जलाई । उन्होंने कहा कि मेरा भी मत है।कि डा. हरिसिंह गौर को भारत रत्न मिलना चाहिए। प्रदेश के 55 जिलों में सागर एक मात्र जिला है, जहां दो विश्वविद्यालय है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार ने 90 दिन के भीतर अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लेकर उनका क्रियान्वयन करवाया है। 52 दिन पहले ही सागर में उनके द्वारा अंग्रेजों से लोहा लेने वाली महान वीरांगाना रानी अवंती बाई लोधी के नाम पर राजकीय विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा की गई थी, जिसे आज मूर्तरूप दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों से प्रतिभावान नागरिकों की पौध तैयार होती है। युवाओं के हाथ में केवल कागज की डिग्री ही नहीं बल्कि हुनर भी होना चाहिए। इसी परिप्रेक्ष्य में नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा का समूचा ढांचा तैयार किया जा रहा है।जिसका श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को है। नई शिक्षा नीति में संस्कार देने के साथ ही गौरान्वित करने वाले पाठ्यक्रम शामिल किये गये है। सागर में एव बंडा मैं नये विश्वविद्यालय खोलने की बात कही। जिससे सभी छात्र-छात्राओं को असुविधा का सामना न करना पड़े।
हमारा विश्वविद्यालय
डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (केन्द्रीय विश्वविद्यालय, पूर्व में सौगोर विश्वविद्यालय) की स्थापना 18 जुलाई 1946 को डॉ. सर हरीसिंह गौर (26 नवंबर 1870-25 दिसम्बर, 1949) ने अपने जीवनभर की बचत से की थी। यह विश्वविद्यालय भारत का 18वां और मध्यप्रदेश का सबसे पुराना व सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है जिसे किसी एक व्यक्ति की मेहनत की गाढ़ी कमाई (लगभग दो करोड़ रुपये) से स्थापित होने का विलक्षण गौरव प्राप्त है। डॉ. गौर एक महान् न्यायविद व विधिवेत्ता होने के साथ-साथ एक सच्चे देशभक्त, परोपकारी, शिक्षाविद व समाज सुधारक भी थे।
डॉ. हरीसिंह गौर को दिल्ली विश्वविद्यालय के पहले कुलपति (1922 से 1926) होने का गौरव प्राप्त है। वे इसी दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय के पहले डीन (1924) भी रहे। डॉ. गौर ने नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार भी दो बार (1928 और 1936 में) संभाला था।
डॉ. गौर सागर विश्वविद्यालय (1946) के संस्थापक कुलपति थे। भारत सरकार ने सन् 1976 में डॉ. गौर के सम्मान व स्मृति में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया था । आगे चलकर फरवरी 1983 में राज्य विधानमंडल द्वारा सागर विश्वविद्यालय का नाम परिवर्तन करके इसे डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय कर दिया गया। यह विश्वविद्यालय सागर शहर से 5 कि.मी. पूर्व में स्थित है और इसका सुरम्य परिसर विंध्य रेंज से जुड़़ी पथरिया पहाड़ियों पर 1312.89 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जो लगभग 100 एकड़ हरे-भरे जंगल से घिरा हुआ है। पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता के रखरखाव और संरक्षण में भी इस विश्वविद्यालय ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उल्लेखनीय बात यह है कि विश्वविद्यालय का हरा-भरा परिसर पूरे भारत के बेहतरीन सुरम्य परिसरों में से एक है।