बंडा से
संवाददात,प्रदीप कुमार,
जेठ जेठानी से प्रताड़ित मां और दोनों बच्चे दर-दर भटक रहे हैं प्रशासन से लगाई न्याय की गुहार,
जेठ से प्रताड़ित बहू ने लगाई प्रशासन से न्याय की गुहार
सागर,यह खबर जिले के बहरोल के ग्राम पंचायत हनौता ऊवारी से जुड़ी है जहां पर प्रशासन का तानाशाही रवैया देखने को मिल रहा है यह मामला बहरोल थाना अंतर्गत आता है जहां पर पति का 6 महीने पहले बच्चों से साया उठने के बाद बच्चों को न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। वहीं पर पत्नी दीप्ति श्रीवास्तव ने बताया मेरे पति का स्वर्गवास 6 महीने पहले हुआ था उसके बाद मेरे ससुराल वालों ने मुझे घर से बाहर निकाल दिया था मेरे 8 साल के बच्चे के नाम पर 8 एकड़ जमीन का नाबालिक वसीयतनामा मेरे पति द्वारा किया गया था उसी के चलते मेरे जेठ जेठानी द्वारा मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है जेठ महादेव श्रीवास्तव जेठानी अनुराधा श्रीवास्तव मुझे घर में रहने से मना करती हैं ना कि मुझे घर में जाने तक नहीं देती मेरे 8 साल लड़का 4 साल की बच्ची को जान से मारने की धमकी भी देते हैं।पत्नी दीप्ति श्रीवास्तव ने बताया 6 महीने में मैंने कई बार अपनी ससुराल जाने का प्रयास किया है। लेकिन मेरे जेठ महादेव श्रीवास्तव द्वारा मुझे प्रताड़ित किया जाता है इसके चलते मैंने इसकी सूचना बहरोल थाना को दी लेकिन वहां पर मेरी कोई प्रकार से कोई सुनवाई नहीं हुई मुझे। आज न्याय के लिए हम मेरे पिताजी मेरे जीजा जी मेरे दोनों बच्चे के साथ बंडा थाने में न्याय की गुहार लगाते हुई आए हैं लेकिन प्रशासन का तानाशाही रवैया देखने को मिल रहा है मुझे यहां से डांट कर भगा दिया गया है और मुझसे कहा गया है तुम्हारा घर का आपसी मामला है आपस में भी सुलझा लो मैं प्रशासन से पूछना चाहती हूं। क्या यह मोहन सरकार का यही महिलाओं के लिए यही न्याय है। मैं 6 महीने से बहरोल थाना के चक्कर काट रही हूं लेकिन मुझे अभी तक कोई भी आश्वासन नहीं मिला है।
पिता ने बताया जब से मेरे दामाद का स्वर्गवास हुआ है जब से मेरी बच्ची और दोनों बच्चे मेरे ही पास हैं जो जमीन मेरे पोते के नाम मेरे दामन द्वारा की गई थी उस जमीन पर पूर्ण रूप से जेठ का कब्जा है न ही इन बच्चों के लिए खर्च नहीं ना ही पढ़ाई के लिए कोई सहायता नही दी जाती है।और तो और खाने के लिए भी ₹1 की सहायता भी नहीं दी जा रही है प्रशासन से न्याय के लिए दर-दर भटक रहा हूं लेकिन अभी तक कोई प्रकार का न्याय नहीं मिला है।बहरौल थाने में आरक्षक द्वारा बस यह आश्वासन दिया जाता है 4 दिन बाद आना 5 दिन बाद आना और जब मेरी सुनबाई बहरोल थाने में नहीं हुई तो मैं बंडा थाने की ओर न्याय के लिए आया तो वहां भी यही बोला गया की चार दिन बाद 5 दिन बाद आना मेरी अभी तक कोई FRI नहीं हुई है।
। 6 महीने पहले उठा बच्चों से पिता का साया